आज विरह का मिलन से,मिलन हो रहा है
✍आर के रस्तोगी
आज विरह का मिलन से,मिलन हो रहा है
मानो धरा का गगन से मिलन हो रहा है
मिलेगी जब मेरी नजर, पिया की नजर से
ऐसा लगेगा,मानो दुखो;का दमन हो रहा है
कर रही हूँ उनका स्वागत पलके बिछा कर
लगेगा जैसे नई ऋतु का सम्मान हो रहा है
होगी ढेर सारी बाते उनसे उनके मिलन पर
दिल से बुरी बातो का अब खनन हो रहा है
निकलेगे मास्क पहन कर जब बाजार में दोनो
लगेगा ऐसा ,मानो कोरोना का गमन हो रहा है
मुक्त हो जाएगे कोरोना से तब ही फूल खिलेगे
लगेगा मानो धरा की हर जगह चमन हो रहा है
✍आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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