एक रचना आपकी नज़र
...
✍अशोक दर्द
जेब में जैसे बम
रखते हैं ।
ऐसे दोस्त हम रखते
हैं ।।
न जाने कब फट जाएं
ये ।
फिर भी यारों दम
रखते हैं ।।
शहर की सोहबत ऐसी है
कि ।
जेब में पैसे कम
रखते हैं ।।
यार हमारे काम आएंगे
।
ऐसी आशा कम रखते हैं
।।
वो भी अपने यार हैं
यारों ।
जो दिल में पेचो खम
रखते हैं ।।
कितने धोखे खाए जग
से ।
फिर भी पास न गम
रखते हैं ।।
उन्हें उजाले देना
ईश्वर ।
मेरे राह जो तम रखते
हैं ।।
मुर्दा बस्ती में
रहकर भी हम ।
अपनी आंखें नम रखते
हैं ।।
दर्द बंजारा सच कहता
है ।
फिर भी लोग भरम रखते
हैं ।।
✍अशोक दर्द
वरिष्ठ साहित्यकार
हिमाचल प्रदेश
2 Comments
बहुत ही शानदार 🎊 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 बधाई एवं शुभकामनाएं जी
ReplyDeleteनमन
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