अनहोनी का होना जी
✍नवीन हलदूणवी
बोलै रोग
करोना जी,
सूना है हर कोना जी।
छोड़ो नफरत की बातें,
बीज नहीं है बोना जी।
उलटे पथ पर चलने से,
पड़ता सबको खोना जी।
दंगे भड़के
दिल्ली में,
निकला दिल से रोना जी।
भारत माता सिसक रही,
किसका जादू - टोना जी?
समझ 'नवीन' समाजे जो,
अनहोनी का होना जी।
8219484701
काव्य-कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा, (हिमाचल)
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