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* ग़ज़ल *
भुलाकर रंजिशें सारी, सभी बेकार की बातें !
चलो आओ करें अब हम सभी से प्यार की बातें !!
मियाँ दहशत में लगते हो किया ये तो नही तुमने ?
कहीं पढकर के आये हो सुबह अख़बार की बातें !!
चलो माना सियासत में लड़ाई भी ज़रूरी है !
ज़रूरी ये नही हों सब ग़लत सरकार की बातें !!
जलाकर खुद ही घर बैठे धरे अब हाथ हाथों पर !
बड़े जाहिल थे तुम तुमने सुनी अंगार की बाते !!
उसे समझा कहें कुछ भी भले कोशिश करें कितनी !
नहीं बदलेंगी हरग़िज मानसिक बीमार की बातें !!
बुलाया था यही कह के मिलेगा हक़ तुम्हें आओ !
वहाँ फिर अनसुनी कर दी गई हक़दार की बातें !!
तुम्हारे बीच का रिश्ता यकीनन तोड़ देंगी ये !
कभी हद से ज़्यादा मत सुनो अग्यार की बातें !!
उसे झोपड़ ने देकर हौसला क़ाबिल बनाया है !
बड़ी करता रहा जो आज कोठी-कार की बातें !!
तुम्हें दिल की खुशामद की ज़रूरत ही नही 'शर्मा' !
अगर सुन लो ज़रा भी तुम फ़क़त अब्सार की बातें !!
© विनोद शर्मा
परिचय
नाम- विनोद शर्मा
शिक्षा- स्नातकोत्तर( रसायन शास्त्र )
गाँव - रायसन,
जिला -करनाल ,हरियाणा
संपर्क सूत्र- 8607051435
1 Comments
बेहतरीन ग़ज़ल, बहुत बधाई विनोद जी
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