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पूछा जाए सवाल की तरह |
आज नवी कक्षा को ‘राजेश जोशी’ की बाल-मजदूरी पर केंद्रित कविता “बच्चे काम पर जा रहे हैं” पढ़ानी थी . कविता बाल-मजदूरी से संबंधित थी . विषय से बच्चे जुड़ सकें इसलिए कविता की व्याख्या से पहले उस विषय में कुछ उदाहरणों के माध्यम से परिवेश-सृजन करने की कोशिश में मैंने यूं ही पूछ लिया-
‘बच्चों आप जानते हैं बाल मजदूरी के बारे में’ ?
‘हां जी’- बच्चों के स्वर में जोश कम था.
‘सर हर्ष भी बाल-मजदूरी करता है’ - एक बच्चे ने अपने पास बैठे हर्ष की तरफ इशारा किया.
इतना सुनते ही हर्ष की नजरें नीचे झुक गई. मुझे भी ख्याल आया कि हर्ष कई बार विद्यालय से अनुपस्थित रहता है. मैंने हर्ष के कंधे पर हाथ रख कर पूछा-
‘क्या यह सच है हर्ष’?
‘जी’- उसकी नजरें नीचे ही थी.
‘कहां जाते हो मजदूरी करने’ ?
‘दुकान पर- गैस वेल्डिंग का काम है’
‘कितने रुपए मिलते हैं’ ?
‘सो रुपए दिन भर के, मेरा चाचा भी वही काम करता है’.
‘घर में और कौन-कौन हैं’?
‘मेरे से दो साल बड़ा भाई है. वह आठवीं के बाद पढ़ा नहीं. अब मिस्त्री की दुकान पर मोटरसाइकिल का काम सीखता है’
‘इसका बापू भी है जी’ वह पागल है’- अबकी बार बच्चे बोले थे.
‘और तुम्हारी माता’ ? मैंने यूं ही पूछ लिया था.
‘वह कई साल पहले मर गई थी’- हर्ष ने दुखी होकर कहा .
‘घर में खाना कौन बनाता है ‘ ?
‘मैं ही बनाता हूं, उसके स्वर में बेचारगी थी
देखिए यह इतना छोटा होकर भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रहा है और पढ़ भी रहा है, यह बड़े हौसले की बात है. मैंने हर्ष को हौसला देने के लिए बाकी बच्चों से उसके नाम की ताली बजवाई.
उसके बाद मैं कविता पढ़ाने लगा, “बच्चे काम पर जा रहे हैं” लेकिन मैं इस कविता को उतने जोश के साथ नहीं पढ़ा सका जैसा अक्सर अन्य कक्षाओं पढ़ाता हूं. मैं पूरी कविता में सिर्फ कुछ पंक्तियों पर उलझ कर रह गया.
“ बच्चे काम पर जा रहे हैं
कितना भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इस सवाल की तरह
बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं” ?
लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था यह सवाल किससे करूं??
दुलीचंद
कालीरमन
118/22, कर्ण विहार , करनाल (हरियाणा )
9468409948
www.ramankaroznamcha.blogspot.com
1 Comments
राजकीय/शासकीय विद्यालयों में ऐसे कुछ उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। हर्ष के साथ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसका पिता पागल है, माँ नहीं है और खाना बनाने के लिए कोई अन्य बड़ी महिला भी परिवार में नहीं है। किंतु यह भी देखा जाता है कि 12-14 वर्ष की आयु के बच्चे अक्सर बाल मजदूरी के कार्य में लग जाते हैं। यह मजदूरी मौसमी हो सकती है और विवाहों आदि में वेटर के रूप में आंशिक भी।
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति इस विडम्बनापूर्ण स्थिति पर सटीक प्रश्न खड़ा करती है। यह प्रशासन, समाज, और अभिभावकों सबको अपने-अपने स्तर पर और सामूहिक दोनों तरह से सोचना होगा कि बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं? इसी में इस समस्या का निदान और निवारण दोनों निहित हैं।
हार्दिक साधुवाद।